१९३६ में लाहोर विमान तल से
इक्कीस वर्षीय सरला ठकराल ने दो सिटो वाला जिप्सी एयर क्राफ्ट उडाकर भारत की प्रथम
पायलट होने का गौरव प्राप्त किया थाI उस कल में विमान को विज्ञानं का चमत्कार
समजा जाता था और उसे पुरुष ही उड़ाते थेI
अडग निश्चय और आदमी साहस वाली सरला ने जब विमान उडाया टो लोग आच्र्यच्कित रह गये
थेI सम्पूर्ण भारत में उनके साहस की प्रशंशा हुयीI
१९२९ में अंग्रेजी शाशक ने
भारतीयों के लिए दिल्ल्ही फ्लाइंग क्लब खोला थाI जहा गिने चुने युवाओं ने प्रवेश
लिया I उनके पी दी शर्मा भी थे, जिनसे सरला का विवाह हुआ I विवाहोपरांत शर्मा साहब
को पायलट बनाने का निश्चय कियाI ससुराल में सभी उनके निर्णय को सराहा I
तीस रूपये प्रति घंटे के
हिसाब से वह उड़न के पाठ लेती थी I एक हज़ार घंटो के पाठ पूर्ण करने के बाद उन्हें
फ्लाइंग का A श्रेणी का प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ I इसके पश्च्यात उन्हें B प्रमाणपत्र
लेना था जिसके बाद भी वह कोमर्शियल पायलट बन सकती थी I वह जोधपुर में प्रशिक्षण लेने
लगी पर १९३९ में उनके पति का विमान दुर्घटना में देहांत हो गया I फिर द्वितीया युद्ध
छिड गया I जिससे फ्ल्यिंग क्लब बद हो गया I
सरला ने फिर चित्रकला में
नाम कमाया I सरला उन दिनों को याद करती थी जब वे प्रशिक्षण ले रही थी काक पीठ में
बैठने तक वह चुन्नी ओढ़े रखती थी I सिट पर बैठने के बाद चुन्नी उनके सहायक को दे
देती थी I
भारत की प्रथम महिला पायलट को दिल से सलाम.......
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