Friday, July 31, 2020

भारत देश की प्रथम शिक्षिका सावित्री बाई फुले की आत्मकथा


सावित्री बाई फुले :1831 1897


भारत देश में प्रथम शिक्षिका सावित्री बाई फुले का जन्म 1831 को हुआ थाI उनके पिता का नाम कन्दुजी पाटिल था, वह महाराष्ट के खंडाला तलक के नायगाव के रहने वाले थे I १८४० में नव साल की उम्र में सावित्री बाई का विवाह ज्योतिबा फुले से हुआI

उस समय के भारतीय समाज में जाती भेद , अश्पृश्यता , बल विवाह आदि कुप्रथा प्रचलित थी I विधवा होने पर महिलाओ के सर के बल काट दिए जाते थे, उन्हें शिक्षा नही दी जाती थी महिलाओ को मात्र घर का कम करनेवाली था, बालक उत्पन्न करने की मशीन माना जा रहा थाI जब सावित्री बाई ने महिलाओ के अधिकारों के लिए काम आरम्भ किया तब जस्टिस रानडे १० साल के थे और विष्णु सास्त्री चिपलूनकर मात्र २ साल के थेI

ज्योतिबा फुले एस बात को समजते थे की शिक्षा को बिना महिलाओ में जाग्रति नही आ सकती, इसलिए उन्हों ने पहले सावित्री बाई फुलेको शिक्षा देनी शरुआत की, इस प्रकार भारतमे सावित्री को पहला पाठ पढ़ाया गया शिग्र ही वह दिन आ गये, जब सावित्री बाई लडकियोंको पधाने योग्य हो गयीI

1 जनवरी १८४८ में पेढ पुणे में भिड़े परिवार के मकान में आगन में लडकिया का पहला विद्यालय खुला, १८५१ में पुणे में ही पिछड़ी जाती के बालको के पिए विह्द्लाया शुरू हुआI सावित्री बाई ने बल विवाह बध करवाई, सती प्रथा को ख़त्म किया, घरेलू उधोगो गरीब लोगो के लिए चालू किया जिसे गरीब लोक अपना गुजारा कर सके I

१२ फरवरी १८५३ में अंग्रेज सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में सावित्री बाई के योगदान को देखते हुए उनका सत्कार किया, यह पहला अवसर था,जब अंग्रेज शाशको ने किसी भारतीय का अभिनन्दन कियाI

भारत में महिलाओ की स्वतंत्रता और उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाने वालो में सबसे पहला नाम ज्योतिबा फुले और उनकी धर्मपत्नी सावित्री बाई फुले का हैI

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