Thursday, July 30, 2020

हिंदी साहित्यकार भीष्म साहनी की आत्मकथा


भीष्म साहनी : 1915 - 2003 



एक अनुभवी मजेदार हिंदी साहित्यकार, लेखक, भीष्म साहनी का जन्म 1915 को रावलपिंडी, पाकिस्तान में हुआ था। वह एक नामचीन भारतीय लेखक, साहित्यकार, नाटककार, फिल्म अभिनेता और सामाजिक कार्यकर्ता भी थे जिन्हें भारतीय उद्योग में उनके निस्पृही काम के लिए जाना माना जाता था।


साहित्यकार भीष्म साहनी को अपने पीढ़ी के सबसे रचनात्मक साहित्यकार के रूप से समृद्ध नामचीन लेखकों में से एक माना जाता है क्यों की जब हिन्दी साहित्य की बात आती है तब सहनी जी को हम अवस्य यद् करता है. उन्होंने अपने देश भारतीय सिनेमा और हिन्दी साहित्य में बेहद दिल खोले के योगदान दिया है। उनका नामचीन उपन्यास, तमस 1947 भारत पाकिस्तान के दंगों पर आधारित अवस्य है । 

उनकी लेखन शैली बहुत प्रभावशाली, रचनात्मक, दिल भर देनेवाली . पकड़ बनाये रखनेवाली अवस्य है, जो सब हिन्दी साहित्य वाचक जन्मो से मानता आ रहा है जो आज भी सभी लेखकों, वाचको और विद्वानों द्वारा पसंद की जाती है एन्लो प्रथम स्थान दिया जाता है। नामदार, जो एकवार पढने के बाद दिल को बहला देने वाला'तमस' का हर भाषा में अनुवाद हुआ और इसलिए 1975 में साहित्य अकादमी पुरस्कार भी साहित्यकार भीष्म साहनी को मिला। उन्होंने अपने समय के कई अन्य लोकप्रिय और प्रमुख हिंदी उपन्यास भी लिखे हैं। जो हर हिन्दी साहित्य वाचक मानता है, भीष्म साहनी कई प्रसिद्ध नाटकों जैसे की हनुश, कबीरा ख़़ार बज़ार में, माधवी और मुवेज़ का हिस्सा सबसे आगे स्थान में रहे हैं। 

उनके लेखन कला को एकदम गहरा और शुद्ध संस्कारी कहा जाता है माना जाता, यही कारण है कि उन्हें अपने समय के कुछ प्रसिद्ध लेखकों के रूप में माना जाता है। भारतीय साहित्य में साहित्यकार भीष्म साहनी योगदान अस्पष्ट है और उनकी उपस्थिति को भारतीय हिदी साहित्य में उनके द्वारा किए गए कार्यों में हमेशा जीवित और निरंतर देखा जा सकता है।


किसी ने कहा कि परिवार द्वारा अनुभव की गई विभाजन की त्रासदी ने गहरी करुणा और मानवता को जन्म दिया, लेकिन इसके आसपास कभी कड़वाहट की छाया प्रसरी नहीं थी। जीवन के अंधकार और अज्ञान को माफ़ करे, क्षमा करके, उन्होंने मानव होने की संवेदनशीलता जताने के साथ साथ अपने लेखन को प्रतिष्ठित किया – नामांकित किया । और उस महान साहित्यकार व्यक्ति, भीष्म साहनी ने अपनी मस्ती, प्रेम और हास्य की भावना को अपने लिए अवस्य बनाए रखा।

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