Wednesday, July 29, 2020

मुंशी प्रेमचंद की आत्मकथा



मुंशी प्रेमचंद : 1880 - 1936

मुंशी प्रेमचंदजी का जन्म 31-7-1880 में, माता का नाम आनन्दी देवी तथा पिता का नाम अजायबराय मुंशी था,  जो लमही गाव में डाक विभाग में नोकरी करके गुजरा करते थे। प्रेमचंद जी की शरुआती साल के थे, तभी उनकी माता का निधन हो गया था और सोलह साल में उनके पिता का भी स्वर्गवास हो गया । माना जाता है की जब पंद्रह साल के हुए तब उनकी शादी कर दी गई। सोलह साल की उम्र में शादी, कर्मकांड, किसानों का दुखी जीवन यह सब प्रेमचंद ने छोटी उम्र में ही देख लिया था। मुंशी प्रेमचंद  का  8-10 -1936 में हुआ था।


प्रेमचंद ने 13 साल की उम्र में ही तिलिस्म-ए-होशरुबा पढ़ लिया था जिसे उनकी बचपन से ही पढ़ने में बहुत रुचि आमतोर पर बढ़ गयी थी। लेखन की रूचि बढने से उन्हों ने गोदान, रंगभूमि, कर्मभूमि, निर्मला , गबन, मानसरोवर, सेवासदन इत्यादी हिन्दी साहित्य में प्रशिध्द हो गई ।

 
वरदान:-


दो बचपन के पड़ोसियों की कहानी- प्रतापचंद्र और बिरजान। प्रतापचंद्र का जन्म देवी अष्टभुजा से उनकी माँ के आशीर्वाद के रूप में हुआ है। जब बिरजन अपने परिवार के साथ प्रतापचंद्र के घर में किरायेदारों के रूप में रहने के लिए आते हैं, वे एक साथ समय बिताना शुरू करते हैं और एक दूसरे के लिए गिर जाते हैं। लेकिन बिरजान की शादी दूसरे आदमी से हो जाती है। जब उसका पति मर जाता है तो क्या होता है?
 
कर्मभूमि :-

प्रेमचंद की कर्मभूमि पात्रों की कर्तव्य भावना और उनकी महत्वाकांक्षाओं के बीच संघर्ष की पड़ताल करती है और यह उनके विभिन्न व्यक्तिगत रिश्तों के बीच एक कील का कारण बनता है। यह बीसवीं शताब्दी की शुरुआत की पृष्ठभूमि के खिलाफ स्थापित है जब ब्रिटिश गरीबों का शोषण कर रहे थे और देश अपने स्वयं के सामाजिक मुद्दों जैसे वर्गवाद, जातिवाद और अस्पृश्यता के खिलाफ  भी लड़ रहा था। क्या होता है जब ये सभी संघर्ष एक राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचते हैं?

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